एक सामान्य आदमी अपने जीवन का एक-तिहाई समय सोने में व्यतीत करता है| क्या यह बात आपको समय की बर्बादी लग रही है?
सोचिये अगर आप बिना सोये दिन-रात लगातार काम कर रहे है और सोने में व्यर्थ होने वाले समय को बचा कर काफी तेजी से अपने कामों को पूरा करने में लगे हुए है| क्या यह अच्छा नहीं होगा, कि आप अपने कामों को दिए गए समय सीमा के अंदर ही पूरा कर ले?
लेकिन सोने की प्रक्रिया का आंकलन करने से पहले, आइए जानते हैं कि यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में कैसे भूमिका निभाता है। जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर पुराने कोशिकाओं को बदलने और ऊतकों की मरम्मत के लिए हार्मोन को स्रावित करता है| अगर हम पूरे दिन काम करते हैं, तो हमें अगले दिन पूर्ण ऊर्जा से काम करने के लिए अच्छी नींद की जरूरत होगी। लेकिन, अगर हम नहीं सोएंगे तो इसका असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ेगा।
24 घंटे के बाद हम यह भूलना शुरू कर देंगे कि हम क्या कर रहे थे। दो दिन के बाद हमारा शरीर ऊर्जा की कमी होने के कारण अपने कामों को करना बंद कर देगा| अच्छी नींद न लेने कारण हमारी त्वचा पीली और आँखें लाल हो जाएंगी।
तीसरे दिन हमारा धीरे-धीरे मस्तिष्क पर से नियंत्रण हटने के कारण भ्रम जैसी स्थितियां उत्पन्न होनी शुरू हो जाएगी|
और चौथे दिन, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाएगी कि हम सामान्य बुखार से भी मर सकने वाली स्थिति में भी पहुंच सकते है|
इसलिए अपनी तकिये को साथ ले और एक झपकी ले और इसी के साथ यह भी सुनिश्चित करें कि आप हर दिन 6 से 8 घंटे की नींद ले रहे हैं।
हिन्दी अनुवाद: कार्तिकेय शुक्ला, प्रेरणा सिंह, प्रणव खत्री, मृगशिरा त्रिपाठी
मुख्य लेखक:प्रेरणा सिंह