अधिकतर लोगों को गर्मियां काफी परेशान करती है जिसकी मुख्य वजह है पसीना| पसीने के कारण इस मौसम में यात्रा करना सबसे ज्यादा कष्टप्रद काम है, मुख्यता तब जब बस और ट्रेन के पूरे डिब्बे में से पसीने की बदबू आ रही हो और आपकी कमीज़ की बगल पसीने से पूरी तरह गीली हो गयी हो| तब ऐसी स्थिति में बस या ट्रेन में यात्रा के दौरान उसमें लगे पट्टों को पकड़ना भी थोड़ा अजीब तो लगता ही होगा|
क्या यह बेहतर होगा कि हमें पसीना ही नहीं आये और हमें उन सभी महंगे इत्रों को खरीदने की जरूरत ही ना पड़े?
शरीर का तापमान बढ़ जाने के कारण हमारे शरीर में उपस्थित पसीने की ग्रंथियां बढ़े हुए तापमान को कम करने के लिए पसीने को निष्कासित करती हैं| जैसे ही हमारी त्वचा के छिद्रों से पसीना बाहर निकलता है, यह वाष्पित होने लगता है जिस कारण हमें ठंडक का अनुभव होता है| पसीने का निष्कासन मुख्यता स्तनपायी जीवधारियों का अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का एक तरीका है| हमारे शरीर से निकलने वाले पसीने में नमक का स्तर अधिक होने के कारण जब हमारी त्वचा पर उपस्थित बैक्टीरिया इसे विखंडित करना शुरू करते है तब पसीने में से बदबू आना शुरू हो जाती है|
यदि हमारे शरीर से अचानक पसीना निकलना बंद हो जाए तब शरीर अपना तापमान नियंत्रित करने में असमर्थ हो जायेगा, जिस कारण शरीर का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगेगा और तापघात जैसी खतरनाक स्थिति बन सकती है| इस स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में एन्हिड्रोसिस कहते है|
हालाँकि, पसीना निकलना इतना भी बुरा नहीं है| पसीना हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के साथ-साथ हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालता है।
हिन्दी अनुवाद: कार्तिकेय शुक्ला
मुख्य लेखक: मौमिता माजूमदार