क्या ग्रीनलैंड पिछले 12000 वर्षों में किसी भी सदी की तुलना में तेजी से बर्फ खोने के लिए तैयार है ?

पिघलते ग्लेशियर और गर्म समुद्र के पानी का विस्तार लगातार बढ़ते हुए समुद्र तल के स्तर में सबसे महत्वपूर्ण कारकों के रूप में माने जाते हैं लेकिन पिछले दो दशकों में ग्रीनलैंड और अंटार्टिका में पिघलती बर्फ की चादरें बढ़ते हुए समुद्र तल के स्तर में प्रमुख रूप से योगदान देती हुई प्रतीत हो रहीं हैं।

वैज्ञानिकों का कहना हैं कि यदि ग्लोबल वार्मिंग पर लगातार निगरानी रखी जाए लेकिन फिर भी ग्रीनलैंड में पिघलती बर्फ की चादरें पिछले 12000 वर्षों में किसी भी सदी की तुलना में कई अधिक तेजी से समुद्र तल के स्तर में वृद्धि कर सकती है।

नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वर्तमान पैटर्न के अनुसार जारी रहा तो 21वीं शताब्दी के अंत तक ग्रीनलैंड अकेले ही समुद्र तल के स्तर में 2 -10 सेंटीमीटर वृद्वि के लिए जिम्मेदार होगा।

1990 के दशक तक ग्रीनलैंड में बर्फ की चादरें सतुंलन में थीं क्योंकि वहाँ बर्फ के ढहने एवं पिघलने की दर बर्फवारी से पुनः जमने वाली बर्फ की दर के समान थी लेकिन जलवायु परिवर्तन के पैटर्न में होने वाले त्वरित बदलावों ने न केवल उत्तरी अटलांटिक में बर्फ पिघलने एवं जमने की दर के सतुंलन को बिगाड़ा बल्कि इस तथ्य का स्रोत भी बना कि उत्तरी गोलार्ध में जमा हुआ पानी समुद्र तल के स्तर को सात सेंटीमीटर बढ़ाने के लिए पर्याप्त है।

समुद्र तल में छोटी सी वृद्धि तटीय समुदायों के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है। जैसा कि पहले हो चुके अध्ययनों से पता चला हैं कि 300 मिलियन लोग, जिनमें अधिकतर गरीब देशों के लोग 2050 तक नियमित रूप से बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।

2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौता यानी ग्लोबल वार्मिग को 2 डिग्री सेल्सियस से कम करना इस सदी में ग्रीनलैंड में बर्फ की चादरों के लगातार पिघलने से होने वाली समुद्र तल के स्तर में 2 सेंटीमीटर की वृद्धि को कम करने में सक्षम रहेगा।

बिना किसी संदेह के यह शताब्दी समुद्र तल में होने वाली निरंतर वृद्धि का सामना करेगी लेकिन 22वीं शताब्दी और आने वाली सदी में समुद्र तल में होने वाली वृद्धि पूरे ग्लोब के समस्त प्राणियों के जीवन को बदलने वाली हो सकती हैं- लेखक जेसन ब्राइनर, न्यूयॉर्क में बफ़ेलो विश्वविद्यालय में भूविज्ञान के प्रोफेसर हैं।

हिन्दी अनुवाद: कार्तिकेय शुक्ला
मुख्य लेखक: खुशबू माथुर

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